रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए 4 और 5 दिसंबर 2025 को भारत की राजकीय यात्रा पर आएँगे। यह यात्रा भारत-रूस संबंधों को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, जिसमें रक्षा, ऊर्जा और व्यापार पर प्रमुख समझौते होने की उम्मीद है।
भारत-रूस संबंधों में नई भूमिका और समझौते
पुतिन की यात्रा दोनों देशों के बीच “विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी” की प्रगति की समीक्षा करने और भविष्य की रूपरेखा तय करने का एक अवसर है। इस यात्रा के दौरान कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा और समझौते होने की संभावना है:
रक्षा सहयोग: इस यात्रा के दौरान S-400 वायु रक्षा प्रणाली की आपूर्ति पर एक बड़ा ऐलान हो सकता है। साथ ही, दोनों देश सैन्य-तकनीकी सहयोग और रक्षा उपकरणों के संयुक्त उत्पादन को आगे बढ़ाने पर भी विचार करेंगे। हाल ही में, रूसी संसद ने भारत के साथ एक प्रमुख सैन्य रसद समझौते (RELOS) को भी मंजूरी दी है, जिससे दोनों देश एक-दूसरे के सैन्य ठिकानों का उपयोग कर सकेंगे।
ऊर्जा और व्यापार: कच्चे तेल और उर्वरक आयात सहित ऊर्जा सहयोग एजेंडे में एक प्रमुख विषय होगा। दोनों देश यूरेशियन आर्थिक संघ (EAEU) के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को अंतिम रूप देने पर भी बातचीत करेंगे।
रणनीतिक स्वायत्तता: यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भारत अमेरिका के दबाव के बावजूद रूस के साथ अपने लंबे समय से चले आ रहे संबंधों और रणनीतिक स्वायत्तता को बनाए रखने पर जोर दे रहा है।
अन्य क्षेत्र: सांस्कृतिक और शैक्षणिक आदान-प्रदान, कृषि साझेदारी और श्रमिकों की गतिशीलता पर भी कई दस्तावेजों पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है।
यह यात्रा 2021 के बाद पुतिन की पहली भारत यात्रा होगी और रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच उनकी कुछ विदेश यात्राओं में से एक है, जिस पर पूरी दुनिया की नजर है।
भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन


