पहल्गाम आतंक हमले के बाद, पाकिस्तान-अधीन कश्मीर में स्कूली बच्चों को युद्ध प्रतिक्रिया प्रशिक्षण
नई दिल्ली, 2 मई 2025:
पहल्गाम में 22 अप्रैल को हुए घातक आतंक हमले में 26 पर्यटकों की जान जाने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की स्थिति चरम पर पहुँच गई है। इस घटना के प्रभाव को देखते हुए, पाकिस्तान-अधीन कश्मीर (PoK) के स्कूलों में अब बच्चों को आपातकालीन प्रतिक्रिया और बचाव प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
स्कूल मैदान से आपातकालीन शिविर तक:
मुज़फ्फराबाद – जो कि PoK का सबसे बड़ा शहर है – में स्कूल के मैदानों को अस्थायी प्राथमिक चिकित्सा शिविरों और निकासी क्षेत्रों में परिवर्तित कर दिया गया है। बच्चों को हेलमेट, फ्लोरोसेंट वेस्ट समेत सुरक्षा उपकरण पहनाकर, उन्हें घायल व्यक्ति की प्राथमिक चिकित्सा, इमरजेंसी ड्रिल, भवन से सुरक्षित निकासी और आग बुझाने की तकनीक के बारे में सिखाया जा रहा है। 13 वर्षीय कोनाइन बीबी ने एक प्रशिक्षण सत्र के दौरान कहा,
“भारत की धमकियों के मद्देनजर, हमारे लिए यह जरूरी हो गया है कि हम सब एकजुट होकर काम करें।”
प्रशिक्षण का उद्देश्य और मार्गदर्शन:
पाकिस्तान के सिविल डिफेंस निदेशालय के प्रतिनिधि अब्दुल बसित मोगाल के अनुसार, इस पहल का मुख्य उद्देश्य बच्चों में मौलिक जीवन बचाव (सर्वाइवल) कौशल का विकास करना है। उन्होंने बताया कि अब तक 13 स्कूलों में यह ड्रिल सफलतापूर्वक आयोजित की जा चुकी है और निकट भविष्य में यह नियंत्रण रेखा के आस-पास के शिक्षण संस्थानों में भी विस्तारित कर दी जाएगी। प्रशासन का मानना है कि किसी भी आपातकालीन स्थिति में स्कूल सबसे पहले प्रभावित होते हैं, अतः बच्चों को समय रहते प्रतिक्रिया देने के लिए प्रशिक्षित करना अति आवश्यक हो गया है।
क्षेत्रीय स्थिति और सुरक्षा के उपाय:
क्षेत्र के निवासियों के बीच बढ़ते तनाव और सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता देखी जा रही है। नियंत्रण रेखा के पास के गांवों में स्थानीय लोग भूमिगत बैंकरों के निर्माण कर रहे हैं और सुरक्षा उपायों को सुदृढ़ करने में जुटे हुए हैं। माता-पिता ने अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर स्पष्ट चिंता व्यक्त की है, विशेष रूप से स्कूल जाते समय। अतिरिक्त बचाव कर्मियों की तैनाती भी की जा रही है ताकि किसी भी संभावित आपातकालीन स्थिति में त्वरित सहायता प्रदान की जा सके।
राजनीतिक परिदृश्य और आगे की चुनौती:
इस घटना के साथ ही,भारत ने पहलगाम हमले के जवाब में सेना को “पूर्ण परिचालन स्वतंत्रता” प्रदान कर दी है,जबकि पाकिस्तान ने दावा किया है कि उसे विश्वसनीय खुफिया जानकारी प्राप्त हुई है जिसके मुताबिक भारत संभावित सैन्य कार्रवाई कर सकता है। इन तेज रही राजनीतिक घटनाओं ने न केवल क्षेत्रीय तनाव को बढ़ावा दिया है, बल्कि बच्चों और स्थानीय समुदायों के मन में सुरक्षा को लेकर गंभीर प्रश्न भी खड़े कर दिए हैं। प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियाँ इस बहु-आयामी चुनौती का सामना करने में जुटी हुई हैं, क्योंकि किसी भी छोटे से विवाद से स्थिति और बिगड़ सकती है।
निष्कर्ष:
बढ़ते तनाव और संभावित सैन्य संघर्ष की इस परिस्थिति में, स्कूलों में बच्चों को आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रशिक्षण देना एक आवश्यक कदम के रूप में सामने आया है। यह पहल न केवल बच्चों में जीवन बचाने के मूल कौशल का विकास करती है, बल्कि समुदाय में सामूहिक सुरक्षा और जागरूकता भी फैलाती है। जैसे ही स्थिति में नई प्रगति सामने आती है, अधिकारियों द्वारा ताज़ा जानकारी जारी की जाएगी।
यह आर्टिकल क्षेत्र में चल रही घटनाक्रम की गंभीरता और सुरक्षा उपायों को दर्शाने के साथ-साथ इसके सामाजिक-राजनीतिक आयामों पर भी रोशनी डालता है। भविष्य में इस विषय से संबंधित और विश्लेषण प्रस्तुत किए जा सकते हैं, जिससे पाठकों को स्थिति की गहराई समझने में मदद मिले।