कोरोना वायरस महामारी (Corona Virus Pandemic) की शुरुआत से ही वैज्ञानिक और शोधकर्ता इस वायरस के सुराग के लिए तमाम जांच कर रहे थे. इस दौरान गंदे पानी की जांच में उन्हें चौंकाने वाले सुराग मिले हैं. इस जांच ने नए कोविड रहस्य को जन्म दिया है और अब दुनिया भर के वैज्ञानिक इससे जुड़ी रिसर्च में जुट गए हैं. इसके जरिए यह समझने की कोशिश है कि कोविड -19 वायरस कैसे व्यवहार करता है और यह कैसे उत्परिवर्तित हो सकता है.
मूल रूप से नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है. यहां एक वर्ग को लगता है कि वायरस, ऐसे लोगों से आते हैं जिनके संक्रमण को सीक्वेंस द्वारा नहीं पकड़ गया था, जबकि दूसरे अन्य वर्ग का मानना है कि यह, वायरस से संक्रमित जानवरों से आ सकता है. दूसरे वर्ग को लगता है कि यह वायरस न्यूयॉर्क शहर के चूहों के कारण फैला हो. दरअसल वैज्ञानिक और शोधकर्ताओं ने वायरस से संबंधित विभिन्न जानकारियों के सुराग के लिए सीवेज और अपशिष्ट जल का परीक्षण किया था ताकि इसे बेहतर ढंग से समझा जा सके.
न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिक इस बात का पता लगाना चाहते हैं कि वायरस के ऐसे उत्परिवर्तन कहां से आ रहे हैं. वहीं इन वेरिएंट्स की क्षमता का आकलन भी करना था. गंदे पानी में वैज्ञानिकों ने ऐसे उत्परिवर्तन भी देखे जो पहले कभी नहीं देखे गए थे. इनको लेकर अभी स्पष्ट राय नहीं बन पाई है. वहीं इनका मनुष्यों में पता लगाया जाना बाकी है.
न्यूयॉर्क में हुए इस अध्ययन के शोधकर्ताओं में मुख्य रूप से क्वींसबोरो कम्युनिटी कॉलेज में सूक्ष्म जीवविज्ञानी मोनिका ट्रुजिलो, क्वींस कॉलेज में वायरोलॉजिस्ट जॉन डेनेही, मिसौरी विश्वविद्यालय में एक वायरोलॉजिस्ट मार्क जॉनसन, टेक्सास ए एंड एम विश्वविद्यालय के एक माइक्रोबायोलॉजिस्ट डेविडा स्मिथ सहित अन्य शामिल थे. हालांकि इस टीम ने यह पूरी तरह से नहीं समझ सका कि आखिर उन्होंने क्या सीक्वेंस किया है.
साभार :न्यूज़18