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मुहूर्त:20 को देवशयन होने से अब शादी के लिए अगला मुहूर्त 4 महीने बाद 15 नवंबर को

15 नवंबर को देव उठनी एकादशी पर खत्म होगा चातुर्मास, नवंबर में 7 और दिसंबर में 6 दिन शादी के मुहूर्त

20 जुलाई से अगले 4 महीनों तक मांगलिक काम नहीं होंगे। देवशयनी एकादशी से चातुर्मास शुरू हो जाएगा। पुराणों के मुताबिक इन 4 महीनों में भगवान विष्णु योग निद्रा में रहते हैं। इसके बाद कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी पर भगवान विष्णु की योग निद्रा पूरी होती है। इस एकादशी को देवउठानी एकादशी और प्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन से ही मांगलिक काम शुरू हो पाते हैं। चातुर्मास में साधु, संत एक स्थान पर रहकर भगवान की उपासना और स्वाध्याय करते हैं। चातुर्मास के दौरान भगवान की पूजा-पाठ, कथा, साधना, अनुष्ठान से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। चातुर्मास में पूजा, पाठ, भजन, कीर्तन, सत्संग, कथा, भागवत के लिए श्रेष्ठ समय माना जाता है।

15 नवंबर से शुरू होंगे मांगलिक कार्य
काशी के ज्योतिषी पवन शर्मा बताते हैं कि चार्तुमास यानी 20 जुलाई से 15 नवंबर तक इन 4 महीनों में देवता शयन करते हैं। इस कारण विवाह, उपनयन संस्कार, गृह प्रवेश, कर्ण भेदन, गृहारम्भ जैसे मांगलिक काम नहीं होते हैं। देवशयनी एकादशी के बाद 15 नवम्बर को देव प्रबोधिनी एकादशी होगी और इसी दिन से विवाह मुहूर्त शुरू होंगे।
देवशयनी एकादशी से पहले शादियों के मुहूर्त हैं। 18 जुलाई को भड़ली नवमी पर मांगलिक कामों के लिए अबूझ मुहूर्त है। भड़ली नवमी को दिन में भी फेरे लिए जा सकते हैं। हालांकि कुछ पचांगों में ग्रहों की स्थिति के कारण 15 जुलाई को सीजन का आखिरी विवाह मुहूर्त है। लेकिन विद्वानों का कहना है कि 18 जुलाई के बाद चार माह तक शादियों की तैयारी होगी लेकिन मांगलिक कार्यक्रम नहीं हो पाएंगे।

नवंबर में 7 और दिसंबर में 6 मुहूर्त
प.शर्मा के मुताबिक इसके बाद विवाह के लिए नवंबर में 7 और दिसंबर में सिर्फ 6 ही मुहूर्त रहेंगे। भड़ली नवमी के बाद 15 नवंबर को देव उठनी एकादशी से मांगलिक काम शुरू होने पर 15, 16, 20, 21, 28 और 29 नवंबर को विवाह के मुहूर्त रहेंगे। दिसंबर में 1, 2, 6, 7, 11 और 13 तारीख को विवाह का मुहूर्त रहेगा। इसके बाद 16 दिसंबर से खरमास शुरू हो जाएगा। इस दौरान सूर्य ग्रह बृहस्पति की राशि धनु में आ जाता है। इसलिए इसे धनुर्मास भी कहते हैं। इस दौरान विवाह नहीं किए जाते हैं। इसके खत्म होने के बाद अगले साल 15 जनवरी से फिर शादियां शुरू हो जाएंगी।

देवशयनी एकादशी का महत्व
पं पवन शर्मा ने बताया देवशयनी एकादशी से भगवान चार माह के लिए विश्राम करते है। इस दौरान चार माह तक मांगलिक और वैवाहिक कार्यक्रम करना वर्जित रहता है। हालांकि मांगलिक कार्यों की तैयारी और खरीदारी इन दिनों में की जा सकती है।स्कंद पुराण में एकादशी महात्म्य नाम का अध्याय है। इस अध्याय में श्रीकृष्ण और युधिष्ठिर के संवाद है। श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को साल भर के सभी एकादशियों का महत्व बताया है। पं शर्मा के अनुसार भगवान विष्णु के लिए इस तिथि पर व्रत किया जाता है। एकादशी पर विष्णु के साथ ही देवी लक्ष्मी की भी पूजा करनी चाहिए।। ज्योतिष एवं वास्तु विशेषज्ञः-पवन शर्मा (काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी उत्तर प्रदेश)

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