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ड्रोन हमलों का मंडरा रहा खतरा: मंत्रालय ने नियम बनाने को लेकर जारी किया मसौदा, मांगे सुझाव

हाल ही में जम्मू-कश्मीर स्थित एयरफोर्स एयरबेस पर हुए ड्रोन हमले के बाद कई बार हाई सिक्योरिटी जोन में ड्रोन को उड़ते देखा गया। देश में लगातार बढ़ते ड्रोन हमलों को लेकर नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने ड्रोन नियम-2021 से जुड़ा मसौदा जारी किया है। मंत्रालय ने इस पर आम नागरिकों से सुझाव मांगे हैं। इस मसौदे पर लोगों की प्रतिक्रिया के लिए अंतिम तारीख 5 अगस्त सुनिश्चित की गई है। 

नागर विमानन मंत्रालय ने विश्वास, स्वप्रमाणन एवं बिना किसी दखल के निगरानी के आधार पर भारत में ड्रोन का आसानी से इस्तेमाल सुनिश्चित करने के लिए मसौदा नियम जारी किए हैं। आधिकारिक बयान में गुरुवार कहा गया कि देश में ड्रोन संचालित करने के लिए भरे जाने वाले प्रपत्रों की संख्या को मानव रहित विमान प्रणाली (यूएएस) नियम, 2021 में वर्णित 25 प्रपत्रों की तुलना में ‘ड्रोन नियम-2021’ के मसौदे में घटाकर छह कर दिया गया है। यूएएस नियम- 2021 इस साल 12 मार्च को लागू हुआ था। अधिसूचित होने के बाद ड्रोन नियम, 2021, यूएएस नियम,-2021 का स्थान लेगा।

 ये रखे हैं प्रावधान
बयान में कहा गया है कि मसौदा नियमों में शुल्क को नाममात्र कर दिया गया है और अब इसका ड्रोन के आकार से कोई संबंध नहीं होगा। मसौदा नियमों ने विभिन्न स्वीकृतियों की आवश्यकता को भी समाप्त कर दिया है, जिनमें अनुरूपता का प्रमाण पत्र, रखरखाव का प्रमाण पत्र, आयात मंजूरी, मौजूदा ड्रोन की स्वीकृति, ऑपरेटर परमिट, अनुसंधान एवं विकास संगठन का प्राधिकार और छात्र दूरस्थ पायलट लाइसेंस शामिल हैं।

 
इतनी ऊंचाई पर उड़ान के लिए लेनी होगी इजाजत
मसौदा नियमों में कहा गया कि ग्रीन जोन में 400 फुट तक और हवाई अड्डे की परिधि से आठ से 12 किमी के बीच के क्षेत्र में 200 फुट तक उड़ान के लिए अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी। मंत्रालय ने कहा कि मसौदा नियम विश्वास, स्व-प्रमाणन और बिना दखल के निगरानी के आधार पर बनाए गए हैं।  

नियमों का पालन कराने के लिए बनाई जाएगी परिषद
मसौदा नियमों के अनुसार, माल पहुंचाने के लिए ड्रोन गलियारे विकसित किए जाएंगे और देश में ड्रोन के अनुकूल नियामक व्यवस्था की सुविधा के लिए एक परिषद की स्थापना की जाएगी। लोग इन मसौदा नियमों पर अपने टिप्पणियां पांच अगस्त तक जमा करा सकते हैं।

मसौदा नियमों में कहा गया है कि माइक्रो ड्रोन (गैर-व्यावसायिक उपयोग के लिए), नैनो ड्रोन और आरएंडडी (अनुसंधान और विकास) संगठनों के लिए किसी पायलट लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होगी। मसौदा नियमों में यह भी कहा गया है कि भारत में पंजीकृत विदेशी स्वामित्व वाली कंपनियों के ड्रोन संचालन पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा।

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