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दिल्ली की गर्मी: टूटा 90 साल का रिकॉर्ड, हीटस्ट्रोक, डायरिया और टायफायड का बढ़ा खतरा

दिल्ली का पारा लगातार रिकॉर्ड तोड़ रहा है। मौसम विभाग के अनुसार गुरुवार को राजधानी में 90 साल का रिकॉर्ड टूटा है। एक जुलाई 1931 को पारा 45 डिग्री रिकॉर्ड किया गया था वहीं आज 43.6 डिग्री दर्ज किया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसका असर आम लोगों की सेहत पर भी दिख रहा है। कोरोना काल में हीटस्ट्रोक, डायरिया व टाइफायड जैसी बीमारियों के होने का खतरा बढ़ गया है। 

दिल्ली में पिछले दो दिनों से पारा 43 डिग्री सेल्सियस बना हुआ है। अधिकतम तापमान में सामान्य से सात डिग्री सेल्सियस की अधिक वृद्धि दर्ज हुई है। हालांकि, आम लोगों को दो डिग्री ज्यादा गर्मी झेलनी पड़ रही है। मौसम विभाग के पूर्व महानिदेशक केजे रमेश ने बताया कि हवा में मौजूद नमी का असर सीधे तौर पर तापमान पर पड़ता है। मौसम विभाग हवा के तापमान को मापता है, जिससे दोपहर दो बजे अधिकतम पीक पर पहुंचने पर घोषित किया जाता है। दूसरी ओर, इंडेक्स तापमान भी होता है, जिसमें नमी भी मौजूद होती है। नमी ज्यादा होने से अमूमन तापमान में दो डिग्री सेल्सियस का अंतर आ जाता है।

बारिश होने पर खत्म हो जाएगी नमी
केजे रमेश के मुताबिक, इन दिनों हवा में नमी का स्तर 70 फीसदी से ज्यादा है। दिल्ली की तरफ पूर्वी दिशा से आने वाली नम हवाओं को पछुआ हवाएं रोक रही हैं। इससे मानसून में देरी हो रही है। दिल्ली में जैसे ही बारिश का दौर बनेगा तब हवा में मौजूद नमी बारिश के रूप में जमीन पर आ जाएगी।

वहीं, मौसम विभाग के प्रमुख कुलदीप श्रीवास्वत के मुताबिक, पूर्वी दिशा से आने वाली नमी वाली हवाओं को पश्चिमी दिशा से चल रही पश्चिमी हवाएं बाधा उत्पन्न कर रही हैं। इससे दिल्ली को मानसून के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। यह हाल केवल दिल्ली का नहीं बल्कि पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और चंडीगढ़ इलाके का है। आगामी चार से पांच दिनों में दिल्ली में मानसून दस्तक दे सकता है।

इसलिए गूगल में दिखाता दो तरह के तापमान
विशेषज्ञ बताते हैं कि गूगल में आमतौर पर दो तरह का तापमान दिखता है। इसमें पहला तापमान वह होता है मौजूदा समय में दर्ज किया जा रहा होता है। दूसरा तापमान महसूस किए जाने वाला तापमान होता है जो कि उक्त तापमान दो से तीन डिग्री सेल्सियस के अंतर के साथ दिखाता है। यह तापमान नमी को साथ लेकर दर्ज किया जाता है।

कब की जाती है लू की घोषणा
मौसम विभाग के मुताबिक, जब मैदानी इलाकों में पारा 40 व इससे अधिक हो और तापमान सामान्य से साढ़े चार डिग्री सेल्सियस अधिक हो तब लू की घोषणा होती है। वहीं, यदि तापमान सामान्य से साढ़े छह डिग्री सेल्सियस से अधिक पहुंच रहा हो तो उस स्थिति में गंभीर लू की घोषणा होती है।

इस वर्ष तापमान का रिकॉर्ड
मार्च
29 मार्च को 40.1  डिग्री सेल्सियस के साथ टूटा था 76 वर्षों का  रिकॉर्ड। इस वर्ष औसतन अधिकतम तापमान 33.1 डिग्री सेल्सियस  दर्ज किया गया था जोकि सामान्य से 3.5 डिग्री सेल्सियस अधिक था। 

अप्रैल 
28 अप्रैल को 42.2 डिग्री सेल्सियस अधिकतम तापमान दर्ज किया गया था। जोकि तब तक इस वर्ष में सबसे अधिक तापमान रहा था। 

मई
मई में इस वर्ष औसतन तापमान 37.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। इससे पहले वर्ष 2008 में 37 और 1987 में 36 डिग्री सेल्सियस अधिकतम औसतन तापमान दर्ज किया गया था। 

जून
जून में पिछले दो दिनों से लगातार दिल्ली गर्मी के रिकॉर्ड बना रही है। 29 जून को दिल्ली में 42 डिग्री सेल्सियस के साथ जून में यह दिन पिछले एक दशक में सबसे गर्म रहा था। इसके अगले दिन ही अधिकतम तापमान 43.5 डिग्री सेल्सियस के साथ इस वर्ष का सबसे गर्म दिन रहा है। 

जुलाई में रिकॉर्ड अब तक के सबसे अधिक तापमान (दिल्ली-सफदरजंग)
एक जुलाई 1931 को 45 डिग्री
पांच जुलाई 1987 को 43.5 डिग्री
दो जुलाई 2012 को 43.5 डिग्री
एक जुलाई 2021 को 43.6 डिग्री

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