दिल्ली सरकार ने फीस को लेकर बीते दिनों दिए गए हाईकोर्ट के आदेश को लेकर निजी स्कूलों के लिए एक आदेश जारी किया है। सरकार के इस आदेशानुसार 1700 स्कूल में से 460 स्कूल ही अभिभावकों से (शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए) जो फीस मंजूर की गई, वही ले सकेंगे। जबकि बाकी लगभग 1200 स्कूल दिल्ली सरकार के आदेशानुसार फीस में छूट देंगे। यह 460 ऐसे स्कूल हैं जिन्होंने कोर्ट में फीस को लेकर अपील की थी।
शिक्षा निदेशालय ने शैक्षणिक सत्र 2020-21 में ली गई फीस में 15 फीसदी कटौती करने का आदेश दिया है। दिल्ली सरकार ने निजी स्कूलों पर हाईकोर्ट का आदेश लागू किया है। सरकार ने आदेश में स्कूलों के फीस संबंधी भ्रम को भी दूर किया है। बताया जा रहा है कि स्कूल किसी एक मद में 15 फीसदी की छूट दे रहे थे, अब स्कूलों को ट्यूशन फीस, विकास शुल्क व वार्षिक शुल्क मिलाकर यह छूट देनी है।
शिक्षा निदेशालय की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि जो स्कूल फीस ले चुके हैं उन्हें फीस लौटानी होगी या आगे उसे एडजस्ट करना होगा। स्कूलों की ओर से सत्र 2020-21 के लिए मंजूर वार्षिक फीस को छह किश्तों में ही वसूला जा सकेगा। दिल्ली सरकार ने 15 फीसदी छूट का उदाहरण देते हुए कहा कि यदि वित्त वर्ष 2020-21 में स्कूल की मासिक फीस 3000 रही है तो स्कूल उसमें 15 फीसदी की कटौती करने के बाद अभिभावकों से केवल 2550 रुपये ही फीस लेंगे।
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा है कि स्कूल मैनेजमेंट अभिभावकों की आर्थिक तंगी के कारण यदि किसी ने बकाया फीस का भुगतान नहीं किया तो इस आधार पर स्कूल बच्चों को किसी भी गतिविधि में भाग लेने से रोक नहीं सकेंगे।
शिक्षा निदेशालय की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि मौजूदा फीस के ढांचे में स्कूल कोई अतिरिक्त शुल्क लगाकर फीस नहीं बढ़ा सकेंगे। उल्लेखनीय है कि बीते वर्ष कोरोना महामारी के कारण सरकार ने निजी स्कूलों पर वार्षिक व विकास शुल्क वसूलने पर रोक लगा दी थी। साथ ही तीन माह की जगह एक माह की ही ट्यूशन फीस वसूलने के लिए कहा था।
स्कूल बंद हैं, नहीं वसूल सकते परिवहन शुल्क
कोरोना महामारी के कारण स्कूल बंद हैं ऐसे में स्कूल परिवहन शुल्क जैसे अनिर्धारित शुल्क अभिभावकों से नहीं वसूल सकते। एक महीने की ही ट्यूशन अभिभावकों से ली जा सकेगी। स्कूल फीस नहीं चुकाने वालों का नाम बोर्ड परीक्षा से नहीं हटा सकते हैं। साथ ही फीस भरने को लेकर यदि कोई अभिभावक अपनी परेशानी बताता है तो स्कूलों को उनके प्रति सहानुभूति दिखाते हुए उन्हें सुनना होगा। इसके साथ ही यदि किसी ने फीस नहीं भरी तो उसे ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल होने से रोका नहीं जा सकता है। बच्चों से भेदभाव किए बिना ऑनलाइन कक्षाओं के लिए बच्चों की लॉग इन आईडी और पासवर्ड बनाया जाए।