जुर्म

दरभंगा ब्लास्ट: एनआईए को मिली बड़ी सफलता, दो और गिरफ्तार, कफील-सलीम को पांच दिन की रिमांड पर ले गई टीम

बिहार के दरभंगा रेलवे स्टेशन पर पार्सल ब्लास्ट मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) ने शामली पुलिस की मदद से कैराना निवासी दो और आरोपियों को गिरफ्तार किया है। एनआईए टीम दोनों को कोर्ट में पेश करने के बाद पांच दिन की ट्रांजिट रिमांड पर अपने साथ ले गई। 30 जून को भी एनआईए ने कैराना निवासी दो भाइयों को हैदराबाद से गिरफ्तार किया था। 

17 जून को बिहार के दरभंगा रेलवे स्टेशन पर पार्सल में ब्लास्ट हुआ था। दरभंगा रेलवे थाने में इसकी शुरुआती रिपोर्ट दर्ज की गई थी। बाद में 24 जून को एनआईए ने अपनी रिपोर्ट दर्ज कर मामले की जांच शुरू की। 30 जून को एनआईए ने कैराना के मूल निवासी दो भाई इमरान खान और नासिर को हैदराबाद से गिरफ्तार किया था। दोनों हैदराबाद में रहकर कपड़े का काम करते थे।

शुक्रवार को एनआईए ने शामली पुलिस की मदद से दरभंगा ब्लास्ट से जुड़े हाजी सलीम उर्फ सलीम अहमद पुत्र मोहम्मद यासीन और कफील अहमद पुत्र शकील अहमद अंसारी निवासी मोहल्ला आलखुर्द कैराना को कैराना से गिरफ्तार कर लिया।

दिल्ली से एनआईए के डीएसपी आरके पांडेय के नेतृत्व में कैराना आई पांच सदस्यीय टीम व कोतवाली प्रभारी प्रेमवीर राणा ने गिरफ्तार किए गए सलीम और कफील को कैराना न्यायालय में पेश किया और दोनों आरोपियों का ट्रांजिट रिमांड मांगा। कोर्ट के आदेश के बाद एनआईए टीम दोनों आरोपियों को पांच दिन के ट्रांजिट रिमांड पर अपने साथ ले गई। 

इन्होंने कहा…
एनआईए ने दोनों आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए सहयोग मांगा था। पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार करके एनआईए को सौंप दिया है। अब आगे की कार्रवाई एनआईए के द्वारा की जा रही है। – सुकीर्ति माधव, एसपी, शामली

नासिर का भी निकल रहा पाकिस्तान से कनेक्शन
कैराना अपने आतंकी कनेक्शन को लेकर एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। यह पहली बार है जब लश्कर-ए-तैयबा का कनेक्शन शामली जिले से मिला है। इससे पहले आईएसआई की गतिविधियों को लेकर कैराना सुर्खियों में रहा है। दरभंगा ब्लास्ट मामले में हैदराबाद से गिरफ्तार किए गए कैराना निवासी नासिर का पाकिस्तान से कनेक्शन निकल रहा है। वह 2012 में पाकिस्तान गया था और माना जा रहा है कि तभी वह लश्कर के आतंकियों के संपर्क में आया और केमिकल आईईडी बनाने की ट्रेनिंग ली थी। इससे पहले पकड़े गए सलीम का भी पाकिस्तान से कनेक्शन होने की बात सामने आई थी। जांच एजेंसियां इन सभी कड़ियों को जोड़कर जांच करने में जुटी हैं।

दरभंगा पार्सल विस्फोट के तार जुड़ने के बाद कैराना का नाम एक बार फिर चर्चाओं में आया है। कैराना के मूल निवासी नासिर और इमरान का कनेक्शन लश्कर-ए-तैयबा से मिला है। इन दोनों को एनआईए ने हैदराबाद से गिरफ्तार किया है। इनके पिता मूसा खान सेना से रिटायर्ड हैं। जिले में आतंकी संगठन लश्कर से पहली बार कनेक्शन सामने आया है। इससे पहले शामली जनपद में पाकिस्तान और खालिस्तानी कनेक्शन मिलते रहे हैं। गठरी के धंधे के जरिए अवैध हथियारों की तस्करी और जाली करेंसी के मामले में कैराना चर्चाओं में रहा है।

अप्रैल 2018 में शामली समेत कई प्रमुख स्टेशनों को बम से उड़ाने के अलावा सीएम योगी और आरएसएस प्रमुख को मारने की धमकी का पत्र मिला था। यह पत्र जम्मू-कश्मीर के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के एरिया कमांडर मैसूर अहमद के नाम से भेजा गया था। इसकी रिपोर्ट थाना जीआरपी में दर्ज हुई थी। इसमें आज तक कोई खुलासा नहीं हुई। अब दरभंगा ब्लास्ट मामले में कैराना चर्चाओं में है। इससे जुड़े मामले में कैराना के मोहल्ला आल खुर्द निवासी सलीम टुइया और कफील को पुलिस ने पकड़ा था। जांच एजेंसियां इन दोनों को अपने साथ ले जा चुकी हैं।

फिर एक बार फेल हुआ खुफिया तंत्र
देश विरोधी गतिविधियों को लेकर कैराना पहले से ही चर्चाओं में रहा है। दूसरे देशों से यहां के लोगों के कनेक्शन मिलते रहे हैं। बाहर की एजेंसियां आकर जिले में कार्रवाई करती हैं, लेकिन स्थानीय खुफिया तंत्र को भनक तक नहीं लगती। दरभंगा ब्लास्ट मामले में भी स्थानीय खुफिया तंत्र पूरी तरह फेल नजर आया।

दरभंगा स्टेशन पर हुए पार्सल ब्लास्ट में शामली का मोबाइल नंबर मिलने के बाद स्थानीय खुफिया तंत्र के कान खड़े हुए थे। मामले में पकड़े गए सलीम उर्फ टुइया और कफील कैराना में रहकर ही गतिविधि को संचालित कर रहे थे, लेकिन खुफिया तंत्र को इसकी भनक तक नहीं थी। अब कैराना के ही दो भाई नासिर और इमरान हैदराबाद से गिरफ्तार किए गए हैं। दोनों के लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े होने की पुष्टि हुई है। दोनों काफी समय से हैदराबाद में रह रहे हों, लेकिन उनका कैराना में आना-जाना लगा रहता था। नासिर के पाकिस्तान जाकर ट्रेनिंग लेने की बात भी सामने आई है। इसके साथ ही सलीम उर्फ टुइया के भी पाकिस्तान जाकर लौटने का पता लगा है। इसका भी स्थानीय खुफिया तंत्र को कुछ पता नहीं लगा। पूर्व में भी ऐसे मामले सामने आए जिनका खुफिया तंत्र को कुछ पता नहीं लगा था।

थानाभवन में बांग्लादेशी यामीन कई साल तक रहता रहा था। जब उसका पता लगा तो वह गायब हो गया। उसका आज तक कुछ पता नहीं लगा है। इसी तरह पाकिस्तान से अपने परिवार के साथ कैराना रिश्तेदारी में आया नावेद भी लापता हो गया था। उसका भी आज तक पता नहीं लग पाया। खुफिया तंत्र की निष्क्रियता का फायदा उठाकर देशविरोधी गतिविधियों में में शामिल लोग यहां अपने मिशन को अंजाम देते रहते हैं।

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