राज्य की खबर

बेटी के जन्म पर परिवार ने किया नन्ही परी का स्वागत,समाज को दिया संदेश

(समाज को दिया संदेश, पराई नहीं अपने खून का हिस्सा होती हैं बेटियां)

जांजगीर :- कई लोग बेटियों के जन्म पर अफसोस करते हैं। कुछ लोग तो मातम सा मनाते हैं।
लेकिन जांजगीर-चांपा जिले के ग्राम गंगाजल में तिवारी परिवार ने बेटी के जन्म पर न केवल खुशी मनाई बल्कि सोमवार को जब उसको नर्सिंग होम से घर लेकर आए तो उसका द्वीप प्रज्जविलत (आरती उतारकार) कर पुष्पवर्षा के साथ स्वागत किया।इस संबंध में दादा राजू तिवारी ने बताया कि ग्राम गंगाजल निवासी रामफल तिवारी परिवार की बडी बेटी स्व.श्रीमती सुमन शर्मा के बेटा शशांक शर्मा व श्रीमती श्वेता शर्मा को प्रथम कन्या रत्न की प्राप्ति
एक निजी नर्सिंग होम में हुई।जिसकी घर आगमन पर परिवार के सभी सदस्यों आरती उतारकर,पुष्पवर्षा व आतिशबाजी कर स्वागत करते हुए खुशियां मनाई।नवजात कन्या के दादा-दादी राजू तिवारी व श्रीमती लता तिवारी ने उनका पालन-पोषण करते हुए अपने साथ रखे हैं। उनका मानना है कि बेटी लक्ष्मी के समान होती है। और हमारे घर-परिवार मे बहुत दिनों बाद कन्या रत्न की प्राप्ति हुई है।हम खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं।

दादा-दादी ने बंटवाई मिठाई

इस मौके पर बच्ची के दादा राजू तिवारी व दादी श्रीमती लता तिवारी ने पूरे मौहल्ले में मिठाई बंटवाई। उन्होंने कहा कि वे इस पल को कभी नहीं भूलेंगे।

वहीं परिवार में बड़े दिनों बाद बेटी का जन्म हुआ है जिससे परिवार वाले काफी खुश हैं,लक्ष्मी आगमन पर सभी ने एक-दूसरे को बधाई दी।

समाज को दिया संदेश

इस मौके पर घर पर गांव के कई लोग मौजूद थे। सभी लोगों ने उन्होंने कहा कि बेटा और बेटी दोनों ही एक ही मां के पेट से जन्म लेते हैं। उनमें मां-बाप का खून होता है। हमारे समाज में जब बेटे के जन्म पर खुशियां मनाई जाती हैं तो बेटी के जन्म पर क्यों नहीं? अगर सभी लोगों के बेटे ही हो जाएंगे तो बहू के लिए बेटियां कहां से लाओगे।परिवार के इस तर्क से सभी लोगों ने अपने सहमति दी ।
कहते है कि हर व्यक्ति के सौ भाग्य होते हैं औऱ यदि जिसके एक भाग्य अच्छे हो तो उसके घर बेटे क जन्म होता हैं और यादि सौ के सौ भाग्य अच्छे हो तो बेटी का जन्म होता हैं। इसलिए शास्त्र भी कहते हैं कि बेटे भाग्य से मिलते हैं लेकिन बेटियां सौभाग्य से मिलते हैं। इसीलिए को बेटियों पर नाज होना चाहिए।इस अवसर नाना-नानी, मामा-मामी,बुआ-फूफा सहित परिजन के सदस्य उपस्थित थे।

तभी तो कहा गया है-बेटियां फुल हैं, बेटियां प्यार है, बेटी घर की आँगन की बाहर हैं………।

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