देश में चल रहे कोरोना टीकाकरण अभियान के बीच एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने आज यानी बुधवार को बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि 2-18 साल के बच्चों पर स्वदेशी वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है जो कि सितंबर-अक्तूबर तक खत्म हो जाएगा। उसके बाद हमारे पास डेटा आ जाएगा। इसके बाद ही हमें इसका अप्रूवल मिल सकता है तब भारत की वैक्सीन भी बच्चों में लग सकती है।
उन्होंने कहा कि बच्चों में कोरोना की बीमारी बहुत हल्की होती है, हमें सबसे पहले बुजुर्गों और जिन्हें पहले से कई बीमारी है उन्हें वैक्सीन लगाना चाहिए। हालांकि बच्चों के लिए अमेरिकी फाइजर वैक्सीन को एफडीए अप्रूवल मिल चुका है और इस वैक्सीन को भारत में आने की अनुमति दी गई है। उन्होंने कहा कि तीसरी लहर की आशंका और बच्चों पर खतरे को देखते हुए फाइजर को एक से दो महीने में मंजूरी मिल सकती है। जिससे जुलाई मध्य या अंत से 12 से 18 साल के बच्चों को वैक्सीन लगाने की संभावना है।
तीसरी लहर को रोकने के लिए कोरोना नियमों का करें पालन
तीसरी लहर को अगर रोकना है तो ये हमारे हाथ में है। अगर हम कोरोना के नियमों का पालन करेंगे तो वायरस नहीं फैलेगा। मैं सबसे अपील करूंगा कि सभी कोरोना नियमों का पालन करें और जहां भी कोरोना के मामले ज्यादा हो वहां लॉकडाउन लगाएं तथा सभी वैक्सीन लगाएं।
स्कूल खुलने पर क्या बोले डॉक्टर गुलेरिया?
डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा कि मेरे हिसाब से अब नीति निर्माताओं को स्कूलों को खोलने पर तेजी से विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस महामारी ने युवा पीढ़ी के शिक्षा को वास्तव में प्रभावित किया है और विशेष रूप से गरीब तबके के बच्चे जो ऑनलाइन कक्षाओं के लिए नहीं जा सकते हैं।
डेल्टा प्लस वेरिएंट बेहद खतरनाक : डॉ. गुलेरिया
एम्स के निदेशक ने कहा कि कोरोना का डेल्टा प्लस वेरिएंट बेहद खतरनाक है। अगर कोरोना नियमों का पालन नहीं किया तो यह बहुत तेजी से फैलेगा।