कोरोना वायरस का टीका लगवाने से पुरषों और महिलाओं के बांझपन का शिकार होने का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को दोहराया कि टीका लगवाने से पुरुषों और महिलाओं के बांझपन का शिकार होने का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है और टीके सुरक्षित व प्रभावी हैं। मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि मीडिया में आईं खबरों में कोविड-19 टीकाकरण के चलते प्रजनन आयु के लोगों के बीच बांझपन को लेकर चिंता जताई गई है।
मंत्रालय ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में मीडिया में आईं कुछ खबरों में नर्सों सहित स्वास्थ्य कर्मियों और अग्रिम मोर्चे के कर्मियों के एक वर्ग में विभिन्न अंधविश्वासों और मिथकों की व्यापकता को उजागर किया गया है। पोलियो और खसरा-रूबेला के खिलाफ टीकाकरण अभियान के दौरान भी इस तरह की गलत सूचना और अफवाहें फैलाई गईं थीं।
कई फर्जी खबरों/संदेशों के ज़रिए #कोविड टीकाकरण से जुड़े भ्रम फैलाए जा रहे हैं, इनमें से एक भ्रम यह है कि वैक्सीन महिलाओं व पुरुषों में संतानहीनता(infertility) का कारण हो सकती है!#PIBFactree
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) May 24, 2021
यह वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है व इससे संतानहीनता होने का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। pic.twitter.com/gVMShYYBqJ
सरकार ने वेबसाइट पर किया है स्पष्ट
मंत्रालय ने कहा कि उसने वेबसाइट पर पोस्ट किए गए एफएक्यू (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न) में स्पष्ट किया है कि उपलब्ध टीकों में से कोई भी प्रजनन क्षमता को प्रभावित नहीं करता है, क्योंकि सभी टीकों और उनके घटकों का परीक्षण पहले जानवरों और बाद में मनुष्यों पर किया जाता है ताकि यह पता लगाया जा सके कि इनका कोई दुष्प्रभाव तो नहीं।