देशभर में कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने जितना नुकसान पहुंचाया, जितना लोगों को डराया और जितने लोगों की जान इस लहर ने ली, उतना नुकसान शायद पहली लहर में नहीं हुआ था। ऐसे में इस लहर ने लोगों को हिलाकर रख दिया। कोरोना ने काफी संख्या में लोगों को संक्रमित करने के साथ ही काफी संख्या में लोगों की जान भी ले ली। इसके अलावा जहां कोरोना से बुखार, खांसी-जुकाम, सिरदर्द जैसी बीमारी होती हैं, तो वहीं ये हमारे शरीर के विभिन्न हिस्से को भी प्रभावित करके कई लक्षण पैदा कर सकता है। कोरोना वायरस अब सीधे रूप से व्यक्ति की त्वचा को भी प्रभावित कर रहा है। ऐसे में कई मरीजों में त्वचा से जुड़े कई लक्षण दिख रहे हैं, जिन्हें हमें भूलकर भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना ही बेहतर विकल्प है। तो चलिए इन लक्षणों के बारे में जानते हैं।
दरअसल, हाल ही में जिमेनेज सेब्रियन एट अल द्वारा जर्नल ऑफ क्लिनिकल मेडिसिन में एक समीक्षा पत्र प्रकाशित किया गया। इसमें कई ऐसे लक्षण बताएं हैं, जो कोरोना से संक्रमित होने वाले मरीजों में नजर आ रहे हैं और ये सभी त्वचा से जुड़े लक्षण हैं। हाल ही में कई ऐसे मामले देखे गए हैं, जिनमें कोरोना के मरीजों में त्वचा के घाव, दाने, दाग-धब्बे जैसे लक्षण से पीड़ित थे।
कोरोना के वैसे तो कई लक्षण हैं, लेकिन त्वचा से जुड़ा हुआ ये लक्षण दिखने पर नजरअंदाज न करें और ये लक्षण है पैरों में बैंगनी रंग की गांठ दिखना। अध्ययन के मुताबिक, कोरोना से संक्रमित हुए युवा वयस्कों और बच्चों में अक्सर लाल-बैंगनी रंग की गांठ देखी गई। हालांकि, खासकर इसमें डायबिटीज के मरीजों में त्वचा संबंधी जटिलताएं अधिक सामान्य और गंभीर पाई गई, जिसमें से 66.7 प्रतिशत त्वचा के घाव धड़ पर और बाकी 19.4 प्रतिशत पैरों और हाथों पर मौजूद हैं।
वहीं, बच्चों में कोरोना का एक लक्षण कावासाकी रोग पाया गया है। ये एक असामान्य रोग है जो कि मुख्य रूप से 5 साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है। इससे पीड़ित व्यक्ति के शरीर में रक्त वाहिकाओं में सूजन आने लगती है। बात इसके लक्षणों की करें, तो इसमें अक्सर दाने होना, होंठ का सूखना या फटना और ऊंगालियों का लाल हो जाना शामिल है।
पैरों के न्यूरोलॉजिकल लक्षण से बचकर
वहीं, जो लोग कोरोना के मरीज हैं, उनमें निचले अंगों और पैरों में कुछ न्यूरोलॉजिकल लक्षण भी देखे गए हैं। खासकर 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में गुलियन बैरे सिंड्रोम होता है। ये एक स्वप्रतिरक्षित रोग है। इसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली स्वस्थ तंत्रिकाओं पर हमला करने लगती है और इस वजह से शरीर में कमजोरी होने लगती है। हाथों और पैरों में झुनझुनी होने लगती है। धीरे-धीरे करके ये पूरे शरीर में फैलकर शरीर को लकवाग्रस्त बना देता है। इसलिए ये लक्षण दिखते ही आपको तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
अस्वीकरण नोट: यह लेख जिमेनेज सेब्रियन एट अल द्वारा जर्नल ऑफ क्लिनिकल मेडिसिन में प्रकाशित किए गए समीक्षा पत्र के आधार पर तैयार किया गया है। लेख में शामिल सूचना व तथ्य आपकी जागरूकता और जानकारी बढ़ाने के लिए साझा किए गए हैं। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित अस्वीकरण- बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
साभार : अमरउजाला