दुर्गा जी महिषासुर मर्दिनी के नाम से भी जानी जाती है।
एक बार एक भैसा – महिसासुर नामक राक्षश था। सारे देवता मिलकर भी उससे परास्त नहीं कर पा रहे थे, इसलिए उन्होंने मदद के लिए भगवान शिव की ओर रुख किया।शिव और समस्त देवताओं ने अपनी अपनी शक्ति से जैसे शिवानी शिव से, विष्णु से वैष्णवी, ब्रह्मा से ब्रम्ही, इंद्र से इंद्राणी, कार्तिकेय से कुमारी, वरुण से वरुणी, वराह से वराही इस प्रकार इन देवीओं ने एक साथ मिलकर एक सुंदर देवी का गठन किया और दुर्गा नामक कई भुजाओं के साथ एक सुंदर देवी का सर्जन किया ।
देवताओं ने उसे अपने-अपने हथियारों से लैस किया। इस प्रकार सशस्त्र, दुर्गा एक शेर पर सवार होकर उस पर्वत पर गई ,जहां महिषासुर रह रहा था। उसकी सुंदरता से आकर्षित होकर उसने विवाह का प्रस्ताव रखा। तब दुर्गा जी ने एक शर्त रखी कि वह केवल उस व्यक्ति से शादी करेगी जो उसे लड़ाई में परास्त कर देगा । एक भयंकर लड़ाई उन दोनों के बीच हुई ,और लड़ाई के दौरान दुर्गा जी ने उसको पैर से लात मारी जिसके कारण वह जमीन पर गिर गया, देवी ने तुरंत उसके सीने में त्रिशूल छेदा और उसे मार डाला।
इसी प्रकार समस्त देवताओ की रक्षा करके वो महिसासुर को मार के महिसासुर मर्दिनी कहलाई। देवताओं ने अपनी जीत का उत्सव मनाया और उस दिन से दुर्गा जी शक्ति के प्रतीक के रूप में पूजी जाने लगी।